-संजय कुमार
/घरेलू गौरैया का जीवनकाल तीन साल हैं लेकिन कई कारणों से यह विलुप्त होती जा रही है हालाँकि गौरैया को संरक्षित करने की मुहिम शुरू हो चुकी है। 24मार्च 2018 को एक ऐसा गौरैया आया जिसे देखने से साफ़ प्रतीत होता है कि वह बुढा हो चला है.शरीर, आखें, पैर यही बयां कर रहें। इसकी वैज्ञानिक जांच नहीं बस मेरा आकलन है। कई गौरैया को देखा है कुछ कई एक दो साल दिखती है । हालाँकि हर साल नये गौरैया भी दिखती है। इस साल बच्चे दिखने लगे हैं।
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया की माने तो घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया इसने उनका अनुकरण किया और अमरीका के अधिकतर स्थानों, अफ्रीका के कुछ स्थानों, न्यूज़ीलैंड और आस्ट्रेलिया तथा अन्य नगरीय बस्तियों में अपना घर बनाया।
शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। ये हैं हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इनमें हाउस स्पैरो को गौरैया कहा जाता है। यह शहरों में ज्यादा पाई जाती हैं। लोग जहाँ भी घर बनाते हैं देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। गौरैया छोटे पास्ता पक्षी के एक परिवार हैं। वे सच्चे स्कीमारों के रूप में भी जाना जाता है, या पुरानी दुनिया की चिंवीमो, नाम भी परिवार के एक विशेष जीनस के लिए इस्तेमाल करते हैं।
डालते हैं इस पर एक नजर । इसका वैज्ञानिक नाम Passeridae है। घरेलू गौरैया 46 कि॰/घं॰की गति से उड़ सकती है। इसके पंखों का फैलाव: यूरेशियाई वृक्ष गौरैया: 21 सें.मी. है। गौरैया का जीवनकाल, घरेलू गौरैया और यूरेशियाई वृक्ष गौरैया 3 वर्ष है। घरेलू गौरैया का द्रव्यमान 24 – 40 ग्रा. होता है।(साभार - मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया)
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