ओ..री रूठी *गौरैया* .... आ अब, घर आंगन में लौट आ. गौरैया संरक्षण के लिए आप भी करें पहल ...घर आँगन, बालकोनी, छत, खुले में रोज रखें दाना पानी ...आवास के लिए लगाये बॉक्स
Sunday, September 23, 2018
Friday, August 31, 2018
Saturday, August 11, 2018
Thursday, August 2, 2018
Saturday, July 28, 2018
Monday, July 23, 2018
Friday, July 20, 2018
Monday, July 16, 2018
गौरैया या अन्य चिड़ियों के लिए रखे पानी के बर्तन को रोज या सप्ताह में दो बार साफ़ करें
*गौरैया या अन्य चिड़ियों के लिए रखे पानी के बर्तन को रोज या सप्ताह में दो बार साफ़ करें..और ताजा पानी भरें * हाँ पानी रोज ताजा भरें ..पिछले दिनों पटना में दैनिक भास्कर द्वारा 'एक सकोरा पानी' चर्चा में सवाल उठा था कि पानी रखने से डेंगू मच्छर पनप सकते है ...हालाँकि रोज चिड़ियों के पानी पीने से कीड़े नहीं पनपते .
Saturday, July 14, 2018
*गौरैया संरक्षण में करे पहल ..लगाये घर में झुरमुट वाला पेंड़*
*गौरैया संरक्षण में करे पहल ..लगाये घर में झुरमुट वाला पेंड़*
आवासीय समस्या और पेड़ों की कमी से गौरैया अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है . पेड़ भी कम हो रहे हैं .यह इंसानों के घरों और आस पास में रहती है, जहाँ खोह व वेंटिलेशन खत्म हो अगये है वहीँ मिटटी के मकान में खपरैअल ने कंक्रीट में जगह ले ली है ..ऐसे में हम उसके आवास के लिए अपने घर के परिसर में झुरमुठ का पेड़ या छोटा पेड़ लगाये तो यह यकीनन उसमे वास करेगी ...देखिये वीडियो .
Wednesday, July 11, 2018
Monday, July 9, 2018
रेडियो मिर्ची पटना की *ओ री चिरैया *
रेडियो मिर्ची पटना की ओर से आज *ओ री चिरैया * कार्यक्रम आयोजित कर चिड़ियों, खासकर *गौरैया* को बचाने पर बातचीत हुई। मैंने विस्तार से गौरैया संरक्षण पर अपनी बात रखी।
मौके पर पुलिस विभाग के adg आलोक राज, कार्टूनिस्ट पवन, भाई नरेश, आदि ने भी बात रखी। सभी अतिथियों को घोसला भी दिया गया। RJ शशि और अंजली ने कमाल की एंकरिंग की।
रेडियो मिर्ची और इसके प्रोग्राम हेड संदीप जी का आभार जिन्होंने अवसर दिया और मुहिम में आगे आये ।
मौके पर पुलिस विभाग के adg आलोक राज, कार्टूनिस्ट पवन, भाई नरेश, आदि ने भी बात रखी। सभी अतिथियों को घोसला भी दिया गया। RJ शशि और अंजली ने कमाल की एंकरिंग की।
रेडियो मिर्ची और इसके प्रोग्राम हेड संदीप जी का आभार जिन्होंने अवसर दिया और मुहिम में आगे आये ।
Thursday, July 5, 2018
Wednesday, July 4, 2018
चिड़ियों को बचाने की पहल, दैनिक भास्कर, पटना की "एक सकोरा पानी"
चिड़ियों को बचाने की पहल, दैनिक भास्कर, पटना की "एक सकोरा पानी" के तहत 3जुलाई 2018 को दैनिक भास्कर पटना ऑफिस में एक संवाद का आयोजन हुआ । संचालन पत्रकार व सिटी भास्कर पेज के प्रभारी साकिब खान ने किया, भास्कर में यह रिपोर्ट छपी।
सिटी भास्कर पेज के प्रभारी साकिब खान ने मेरा स्वागत किया और अध्यक्षता का भार सौंप दिया।
अच्छी चर्चा हुई। सामाजिक सरोकार और पक्षी प्रेमियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । मुझे मुख्यअतिथि के तौर पर गौरैया पर बोलने का मौका दिया गया । चर्चा में सबने बेहतर व अच्छी पहल की बात की। भास्कर की पहल से जुड़ने का वायदा लोगों ने किया है। आप भी जुड़िये। दाना पानी चिड़ियों के लिए रखिये।
चर्चा के बाद सबको अखबार की ओर से एक सकोरा भेंट में दी गयी। मौके पर संजय अवस्थी व अंशु अवस्थी ने मुझे एक घोसला भेंट किया। मेरे पास कई घोसला होने की वजह से मैंने घोसला Rotarians नम्रता नाथ जी को भेंट कर दिया।
Sunday, July 1, 2018
"गौरैया" अपने बच्चों के साथ झुण्ड में .. यहां -वहां ---खुले आसमान में दिखने लगी है
गौरैया अपने बच्चों के साथ झुण्ड में खुले यहां वहां ---खुले आसमान में दिखने लगी है .मार्च महीने से यह अपने खानदान को बढ़ाने में सक्रिय हो जात्ते हैं. नर गौरैया ..मादा को पटा कर पहले जोड़ी बनाता है .जब जोड़े बन जाते हैं तो नर घोसला बनाता है . फिर प्यार का दौर चलता है .मादा गौरैया द्वारा अंडे देने के बाद ..नर और मादा गौरैया मिल कर घोसले पर नजर रखते हैं ..एक बच्चे के दुनिया में आ जाने और बड़े होने के बाद फिर से अपनी विलुप्ति को पाटने के लिए ..बच्चे के लिए प्रयास करते हैं जून तक यह चलता है . जून जुलाई में गौरैया अपने बच्चों के साथ झुण्ड में रहती है ...लोहिया नगर ,कंकडबाग ...डॉक्टर कालोनी में गौरैया झुण्ड में दिखती है . बच्चा गौरैया का पहचान है उसके चोंच के पास पीला धार ...मुंछ की तरह होता है ...जैसे जैसे यह बड़ा होता है पीला दाग हटता जाता है . मादा गौरैया बच्चे की पहचान जल्द हो जाता हैं ..इनके लिए यह दौर संघर्ष का होता है .इस मौसम में कौआ का भी बच्चा होता है और वह अपने बच्चे को खिलाने के लिए .गौरैया के बच्चे पर हमला करता है ...इसलिए साथियों ...सावधान रहें ..जहाँ भी बच्चा गौरैया दिखे उसके संरक्षण के लिए पहल करें .
Wednesday, June 27, 2018
*गौरैया की बिहार सरकार से अपील*...घर के साथ दाना पानी की भी हो व्यवस्था
माननीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी
सदर प्रणाम,
*पटना I गौरैया (मेरे) विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाने पर चिंता जताते हुए आपने वन विभाग को हमारे संरक्षण के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया था। आदेश के तहत सरकारी भवनों और आवासों में बॉक्स लगाने की बात कही गयी थी। ताकि हमें इनमें अपने अंडे देने और सेने की सुविधा मिले।
जून 2015 में वन्य जन्तु परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए माननीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी आपने वन विभाग को सरकारी भवनों और आवासों में बॉक्स लगाने का आदेश दिया था....लेकिन पहल कितनी हुई ? सरकारी भवनों पर यह नही के बराबर दिखाता है। आपसे निवेदन है कि पटना में हम जहाँ वास करते है उसका सर्वे कराया जाये और उन इलाकों में दाना -पानी और बॉक्स लगवाने का आदेश दिया जाए ,वैसे सबसे बेहतर होगा कि झुरमुठ वाले पेड़ लगवाने का आदेश वन विभाग को दें तो अच्छा होता क्यों कि हमारे छुपने और रहने के लिए बेहतर जगह है।
एक और आग्रह आपसे और वन विभाग के मंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी से है। बॉक्स के साथ साथ सरकारी भवनों और हमारे इलाके को चिन्हित कर वहां दाना- पानी भी रखवाने की व्यवस्था करवा दें तो अच्छा होगा।
साथ ही एक और सुझाव है, राशन की दुकानों में जो अनाज चावल आदि जमीन पर गिर जाते हैं और उसे बुहार कर फेंक दिया जाता है उसे जमा करवा कर सरकारी भवनों या चौक चौराहों पर पानी के साथ अगर वन विभाग रख दें तो बहुत कृपा होगी।
आपकी हम नन्ही
*गौरैया*
Friday, June 22, 2018
गोबर में आहार खोजती है ‘गौरैया’
संजय कुमार/ देखा जाये तो चिडियों के आहार में फल-फूल, बीज, अनाज, कीड़े -मकोड़ें, मांस और अन्य आहार शामिल हैं। चिड़ियों के दाँत नहीं होने से वे आहार को निगल जाते हैं। जहां तक घरेलू गौरैया के आहार का सवाल है तो घास का बीज, धान, चावल के छोटे - छोटे दाने यानी खुददी आदि है। फल-फूल-सब्जी से यह कीडे़ भी निकाल कर खाती है। जहाँ गायें रहती है वहां पड़े गोबर के पास गौरैया आहार ढ़ूंढती दिखती है।
गोबर से निकलने वाले कीड़े एवं अनाज को वह अपने बच्चों को खिलाती है।
गौरैया खेत-खलिहान-खटाल में से अपना आहार ढूंढ लेती है। कीटनाशकों के भारी प्रयोग से सब्जियों से कीड़े गायब हो रहे हैं। इससे गौरैया के बच्चे को पर्याप्त आहार नहीं मिल रहा है। धान-चावल से बड़ी गौरैया अपना पेट तो भर लेती है लेकिन अपने बच्चों के लिए कीड़े ढूंढती है। खेत-खलिहान-खटाल में कीड़े मिल जाते हैं। जब से कीटनाशक का प्रयोग होने लगा है। ऐसे में अपने बच्चों के आहार के लिए गोबर के पास आहार ढूंढते दिखती है।
खास कर मार्च से जून तक तो देखा ही जा रहा है। जब तक बच्चे खुद से खाना शुरू नहीं कर देते तब तक गौरैया खुद से खिलाती है।
अपने बच्चों के लिए गोबर से निकलने वाले कीड़े को या उसमें पड़े अनाज को वह ले जाती है। विश्व गौरैया दिवस पर दूरदर्शन बिहार पर आधे घण्टे का एक कार्यक्रम गौरैया संरक्षण पर करवाया था तब उसमें विशेषज्ञ डा.गोपाल शर्मा, वैज्ञानिक, juलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया,पटना ने बताया था कि जहाँ गाय रहती है यानी जहाँ गोबर पड़ा रहता है वहां आसानी से गौरैया दिख जाती है वजह उसे अपने और बच्चे के लिए आसानी से आहार मिल जाता है।
उनकी बात सत्य प्रतीत हुई। मैंने अपने शोध में देखा,जहाँ गाये बंधी थी वहां पड़े गोबर के पास सुबह - शाम मंडराती रहती है।
वैसे घरेलू गौरैया इंसानों के घरों में बसेरा रखने से इंसानों के यहाँ रखे अनाज को अपना आहार आसानी से बनाते हैं। घर-आंगन में गिरे अनाज को खाने के लिए गौरैया फुदकती हुई झुण्ड में आती है और दाना चुगती है।
साथ ही घरेलू गौरैया, इंसानों के घर में प्रवेश कर कीड़ें-मकोड़ें को भी खाती है।
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