Friday, April 20, 2018

हमारी गौरैया..अभी मैं जिन्दा हूँ ..गौरैया -फोटो प्रदर्शनी ,पटना



अभी मैं जिन्दा हूँ ..गौरैया -फोटो प्रदर्शनी ,पटना के इको पार्क में 31दिसंबर २०१७ को आयोजित पटना के ट्रैफिक एस पी श्री पी के दास जी ने लोकार्पण किया था 

हमारी गोरैया ...गमले में लोट पोट करती हुई

गौरैया धान खाते हुए

गौरैया ....धान खाती हुई ..आज 14-1-18 की सुबह

हमारी गौरैया फ़ोटो प्रदर्शनी

गौरैया बच्चे को खिलाते हुए

Tuesday, April 17, 2018

गौरैया अपने बच्चे को दाना खिलाते हुए

संजय कुमार / अप्रैल माह से गौरैया का बच्चा खुले आसमान में आने लगा। ..अपने मां और पापा के साथ दाना -पानी की तलाश में भी घोसला से बाहर आ गया है। जैसे ही यह उड़ने लगता है गौरैया अपने बच्चे को अपने साथ उड़ा  लेती है।  एक बार उड़ने के बाद यह घोसला में वापस नहीं जाती । जहाँ- जहाँ माँ- बाप जाते है वे अपने बच्चे को भी ले जाते हैं और उसे अपनी सुरक्षा में रखते है।  दाना -पानी भी देते रहते है।  मेरे घर बालकोनी में सुबह 5.15  से ही आ जाते हैं ।  आज सुबह दाना खिलाते  हुए वीडियो बनाया। बच्चा पंख फैला कर  अपने माँ -पापा से ची चीकी आवाज निकाल ...... खाना मांगता है।  आप भी देखिये नजारा । 

Saturday, April 14, 2018

नन्ही सी प्यारी "गौरैया" ज्यादा तापमान सहन नहीं कर सकती, रखिये पानी


संजय कुमार 

छोटी सी नन्ही सी प्यारी "गौरैया" ज्यादा तापमान  सहन नहीं कर सकती है। गर्मी आते ही पानी की तलाश में यह भटकने लगती है जैसे- जैसे गर्मी बढती जाती  है प्यास की तलब बढती ही  जाती है  इसका जीवंत प्रमाण है इसके चोंच का खुलना और पानी नहीं मिलने पर हाफना ।                                                                                                          यह गरमी की तपीस को खत्म करने के लिए यह कई बार पानी पीने आती है प्यास बुझने के पहले और बाद में उसका चेहरा देखने से साफ़ पता चल जाता है

 पानी के बर्तन में पानी नहीं रहने से यह इंसान के घर के अंदर आकर रसोईघर या आंगन में लगे नल के पास पानी पीने आती है । 

नल की टोंटी में  मुंह लगा कर पानी की बूंद से प्यास बुझाती है । गन्दा पानी यह नहीं पीती है । अगर आपने अपने घर आँगन या बालकोनी या फिर खुले में गौरैया जैसी पक्षियों के लिए पानी नहीं रखा है तो आज ही पानी का बर्तन रखिये । इंसान तो पानी मांग कर प्यास बुझा लेता है । लेकिन जब चिड़िया पानी मांगती है तो उसकी बोली हम समझ नहीं पाते,जबकि चिड़िया भी आवाज देकर पानी मांगती है । 

मैंने कई बार देखा है । पानी खत्म होने या फिर बर्तन में कौआ द्वारा गन्दा डाल देने पर गौरैया खूब शोर मचाती है । आपको विश्वास नहीं होगा । पानी के लिए यह कभी कभी घर में प्रवेश कर आवाज लगती है । 

पंखा चलने से वह डरती है फिर भी किचेन में आकर आवाज देती है । पानी डालने के बाद ही शांत होती है 


 कुछ लोग सोचते हैं कि केवल गर्मी में चिडियों को पानी चाहिए होता है 






ऐसा नहीं है सर्दी में भी चिडियों को इंसान की तरह पानी चाहिए होता है । गर्मी में पानी की मात्र बढ़ जाति है । सर्दियों में गौरैया को नियमित पानी पीते देखा । रोज पानी के बर्तन में पानी बदलना चाहिए । 










आइये विलुप्त होती गौरैया को बचाये । ज्यादा तापमान यह सहन नहीं कर पाती है । आपके  छोटे  से  प्रयास से विलुप्त होती गौरैया को जीवन मिलेगा 

Tuesday, April 10, 2018

बच्चा गौरैया उड़ान भरने लगा हैं

संजय कुमार /  विश्व  से विलुप्ति के कागार पर खड़ी गौरैया को जहाँ  बचाने की मुहिम जारी है वहीं गौरैया भी इस मुहिम में शामिल है। अमूमन 14 से 16 से.मी. लम्बी आकार वाली गौरैया के बच्चे इस मौसम में उडान भरने लगे हैं। 
घोसला से निकल बच्चा गौरैया अपने मां-पापा के साथ खुले आसमान में मार्च के प्रथम सप्ताह से उडान भर रहा है आगे पीछे उसकी सुरक्षा में नर एवं मादा गौरैया रहती है। इस उड़ान में बच्चा गौरैया जब जमीन, पेड़ या मकान पर बैठता है तो नर या मादा गौरैया उसके लिए दाना चुग कर लाती है, जैसे ही दाना लेकर आती है बच्चा गौरैया पंख को फड़फडाते हुए खाना के लिए मुंह खोलता है। नर या मादा गौरैया अपने बच्चे के मुंह में खाना डाल देती है वैसे जहाँ  नर या मादा गौरैया दाना चुगती है वहीं बच्चा भी दाना चुगता है। लेकिन बच्चे को गौरैया जोड़ा दाना खिलाते है। इस दौरान बच्चा गौरैया चीं चीं की आवाज निकाल कर पंख को फड़फडाते हुए खाना मांगता है। 

हालांकि पूरी कोशिश होती है कि बच्चा खुद से खाना खाये।
 पूरा दृश्य  मनमोहक होता है।
 बच्चा गौरैया को शुरू  में यह आंकलन करना मुश्किल  होता है कि वह नर है या मादा। लेकिन जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसकी पहचान सामने आती ही जाती है।  
नर गौरैया का सिर, गाल तथा अंदर का भाग धूसर होता है तथा गला, सीने के ऊपर, चोंच एवं आंखों के बीच का भाग काला होता है। 


मादा के सिर या गले पर काला रंग नहीं होता और सिर के ऊपर भूरे रंग की धारी होती है। वैसे मादा गौरैया, नर से आकार में छोटी होती है।
*(खुद के आकलन के अनुसार)

Friday, April 6, 2018

गौरैया का घोंसलाः इंसानों का घर सबसे सुरक्षित


संजय कुमार / घरेलू गौरैया (पासर डोमेस्टिकस) एक पक्षी है जो यूरोप और एशिया में सामान्य रूप से हर जगह पाया जाता है। इंसानों का घर इनका बसेरा हुआ करता है लेकिन कंक्रीट के जंगलों ने इनके लिए इंसानों के घरों में आवासीय संकट पैदा कर दिया है। आवासीय खोज में यह पलायन कर जा रही है। गाँव में भी तेजी से बनते कंक्रीट के मकानों ने गौरैया से उनका बसेरा छीन लिया है कई गांवो से गौरैया के गायब होने का एक कारण यह भी माना जाता है।
इतिहास गवाह है कि भी पूरे विश्व में जहाँ-जहाँ मनुष्य गया वहां वहां गौरैया भी गयी। शहरी इलाकों में गौरैया की छह तरह ही प्रजातियां पाई जाती हैं। हाउस स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, रसेट स्पैरो, डेड सी स्पैरो और ट्री स्पैरो। इंसान जहाँ जहाँ गया देर सबेर गौरैया के जोड़े वहाँ रहने पहुँच ही जाते हैं। इंसान के घर में ही ये अपना घोंसला बनाते है। खासकर अंडे देने के लिए घोंसला बनाने के लिए इंसान के घर या जहाँ इंसान रहता है आस पास घोंसला बनाते है। इस लिए इसे घरेलू गौरैया कहा जाता है। घोंसला बनाने के मामले में गौरैया बया पक्षी से कमजोर है। बया का घोंसला अद्भूत रहता है वहीं गौरैया जैसे तैसे घोंसला बनाती है। जब अंडे देने का समय आता है गौरैया इंसान के घरों में घोंसला बनाने जुट जाती है। जगह मुआइना करने के बाद ही यह घोंसला बनाती है। ज्यादातर खोह या वैसी जगह पर घोंसला बनाती है जहाँ कौआ जैसे हमलावर पक्षी की पहुंच नहीं हो।
इंसान के घर इसके लिए बेहतर होता है। इंसान भी अपने घरों में गौरैया के आने और घोंसला बनाने को शुभ मानता है। गौरैया इंसान के घर के अंदर प्रवेश कर वेंटीलेशन, पंखा में लगे कैप, बाथरूम का पाइप, घोंसला या खोह में यह घास-फूस को ला कर रख देती है। जो काफी हल्के और मुलायम होते है। गांव में फूस का घर इनका बेहतर जगह है। खपरैल का घर इनके रहने के लिए बहुत सुरक्षित होता है क्योंकि इसमें बडे हमलावर पक्षी का खतरा नहीं होता है।
शहर में ये दूकानों के शटर के उपर और खिड़की में लगे एसी के नीचे घोंसला बना कर अंडे देती है।पिछले कुछ सालों में शहरों में गौरैया की कम होती संख्या पर चिन्ता प्रकट की जा रही है। आधुनिक होते जीवन और बहुमंजिली इमारतों में गौरैया को रहने के लिए पुराने घरों की तरह जगह नहीं मिल पाती है। तो वहीँ सुपर मार्केट संस्कृति के कारण पुरानी पंसारी की दूकानें घटती जा रही हैं। इससे गौरेया को दाना नहीं मिल पाता है। शहरों में वेंटीलेशन या आवासीय कमी की वजह से गौरैया संरक्षण में लगे लोग लोगों को बाॅक्स लगाने की सलाह देते हैं।
बाॅक्स में भी गौरैया आती है और घोंसला बनाती है। गौरैया के घोंसला में कोई तकनीक नहीं रहता है। बस सुरक्षित जगह देख यह घास-फूस लाकर रख घोंसला बना लेती है। घोंसला बन जाने के बाद उसमें अंडे देती है।
बच्चे के निकलने और उसके उड़ने तक गौरैया जोड़ा एक एक कर घोंसला के पास हमेशा रहते है। एक बार जब बच्चे निकल जाये तो दूबारा अंडे देेने के लिए घोंसला के उपर फिर से घास-फूस डाल कर घोंसला को ठीक ठाक कर नया बना देते है। गौरैया के अलावे इंडियन राॅबिन, मैना को भी ऐसे करते हुए देखा है। (अनुभव के आधार पर) ।

Thursday, April 5, 2018

'गौरैया' को घास के बीज है काफी पसंद ..धान भी खाती है चाव से


संजय कुमार यों तो घरेलू गौरैया को घास के बीज काफी पसंद होते हैं जो शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिल जाते हैं.लेकिन यह चावल के छोटे छोटे दाने यानी खुददी बड़े ही चाव से खाते हैं. वैसे चिडियों का आहार में फल-फूल,बीज,अनाज,कीड़े -मकोड़ें, मांस और अन्य आहार शामिल हैं। देखा जाये तो चिड़ियों के दाँत नहीं होते ऐसे में वे आहार को निगल जाते हैं.
विशेषज्ञों की माने तो सबका अपना-अपना आहार होता है. जहाँ तक घरेलू गौरैया के आहार का सवाल है तो घास के बीज को ये काफी पसंद करते हैं. इसकी पुष्टि अंतरजाल करता हैं. लेकिन घरेलू गौरैया इंसानों के घरों में बसेरा रखने से इंसानों के यहाँ रखे अनाज को अपना आहार बनते हैं. जब घर की महिला अनाज को सूप के जरिये फटकती हैं जब अनाज जमीन पर गिरता है तो अनाज को खाने के लिए गौरैया फुदकती हुई झुण्ड में आती है और दाना चुगती है. समय-समय पर घरेलू गौरैया, इंसानों के घर में प्रवेश कर कीड़ें-मकोड़ें को भी खाती है.
पिछले 11 साल से गौरैया को मैं चावल के टुकड़े(खुददी) देता आ रहा हूँ ..साथ ही पिछले साल से धान भी देना शुरू किया...बड़े ही चाव से गौरैया धान को छिल कर खाती है.यही नहीं अपने बच्चे को भी धान छिल कर खिलाती है.गाँव में गौरैया को खुददी और धान खाने को आसानी से मिल जाता है. जब गाँव के लोग धान की बाली को गठरी बना कर घर की छत या खलियान में रखते हैं तो गौरैया आनंद लेकर खाती है. साथ ही कटनी के दौरान भी सहज इसे आहार मिल जाता है. लेकिन गाँव से गौरैया के विलुप्त होने की बात ने विशेषज्ञों को चौंकाया है. इसके पीछे फसल पैदावार में कीटनाशक के इस्तेमाल को दोषी माना जा रहा है. अपने बच्चे को शुरू में गौरैया कीड़े खिलाती है. विशेषज्ञों की माने तो कीटनाशकों के भारी प्रयोग से सब्जियों से कीड़े गायब हो रहे हैं.इससे गौरैया के बच्चे को पर्याप्त आहार नहीं मिल रहा है.
मैंने, गौरैया के खाने में मैंने चना और मूंगफली भी दिया, जिसे वे बड़े ही चाव से खाते दिखे.....वैसे धान को छिल कर खाने का अंदाज उनका निराला होता है.