Wednesday, June 27, 2018

*गौरैया की बिहार सरकार से अपील*...घर के साथ दाना पानी की भी हो व्यवस्था

माननीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी


सदर प्रणाम,

*पटना I गौरैया (मेरे) विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाने पर चिंता जताते हुए आपने वन विभाग को हमारे संरक्षण के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया था। आदेश के तहत सरकारी भवनों और आवासों में बॉक्स लगाने की बात कही गयी थी। ताकि हमें इनमें अपने अंडे देने और सेने की सुविधा मिले

जून 2015 में वन्य जन्तु परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए माननीय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी आपने वन विभाग को सरकारी भवनों और आवासों में बॉक्स लगाने का आदेश दिया था....लेकिन पहल कितनी हुई ? सरकारी भवनों पर यह नही के बराबर दिखाता है। आपसे निवेदन है कि पटना में हम जहाँ वास करते है उसका सर्वे कराया जाये और उन इलाकों में दाना -पानी और बॉक्स लगवाने का आदेश दिया जाए ,वैसे सबसे बेहतर होगा कि झुरमुठ वाले पेड़ लगवाने का आदेश वन विभाग को दें तो अच्छा होता क्यों कि हमारे छुपने और रहने के लिए बेहतर जगह है।

एक और आग्रह आपसे और वन विभाग के मंत्री श्री सुशील कुमार मोदी जी से है। बॉक्स के साथ साथ सरकारी भवनों और हमारे इलाके को चिन्हित कर वहां दाना- पानी भी रखवाने की व्यवस्था करवा दें तो अच्छा होगा।


साथ ही एक और सुझाव है, राशन की दुकानों में जो अनाज चावल आदि जमीन पर गिर जाते हैं और उसे बुहार कर फेंक दिया जाता है उसे जमा करवा कर सरकारी भवनों या चौक चौराहों पर पानी के साथ अगर वन विभाग रख दें तो बहुत कृपा होगी।
आपकी हम नन्ही
*गौरैया*

Friday, June 22, 2018

गोबर में आहार खोजती है ‘गौरैया’



संजय कुमारदेखा जाये तो चिडियों के आहार में फल-फूल, बीज, अनाज, कीड़े -मकोड़ें, मांस और अन्य आहार शामिल हैं। चिड़ियों के दाँत नहीं होने से वे आहार को निगल जाते हैं। जहां तक घरेलू गौरैया के आहार का सवाल है तो घास का बीज, धान, चावल के छोटे - छोटे दाने यानी खुददी आदि है। फल-फूल-सब्जी से यह कीडे़ भी निकाल कर खाती है। जहाँ  गायें रहती है वहां पड़े गोबर के पास गौरैया आहार ढ़ूंढती दिखती है। 

गोबर से निकलने वाले कीड़े एवं अनाज को वह अपने बच्चों को खिलाती है।

 गौरैया खेत-खलिहान-खटाल में से अपना आहार ढूंढ लेती है। कीटनाशकों के भारी प्रयोग से सब्जियों से कीड़े गायब हो रहे हैं। इससे गौरैया के बच्चे को पर्याप्त आहार नहीं मिल रहा है। धान-चावल से बड़ी गौरैया अपना पेट तो भर लेती है लेकिन अपने बच्चों के लिए कीड़े ढूंढती है। खेत-खलिहान-खटाल में कीड़े मिल जाते हैं। जब से कीटनाशक का प्रयोग होने लगा है। ऐसे में अपने बच्चों के आहार के लिए गोबर के पास आहार ढूंढते दिखती है। 

खास कर मार्च से जून तक तो देखा ही जा रहा है। जब तक बच्चे खुद से खाना शुरू नहीं कर देते तब तक गौरैया खुद से खिलाती है 

मेरे घर के पास गाय के खटाल में सुबह शाम गौरैया को अपने बच्चों के साथ आहार के लिए देखता रहता हूं। 

अपने बच्चों के लिए गोबर से निकलने वाले कीड़े को या उसमें पड़े अनाज को वह ले जाती है। विश्व गौरैया दिवस पर दूरदर्शन बिहार पर आधे घण्टे का एक कार्यक्रम गौरैया संरक्षण पर करवाया था तब उसमें विशेषज्ञ डा.गोपाल शर्मा, वैज्ञानिक, juलाजिकल सर्वे ऑफ  इंडिया,पटना ने बताया था कि जहाँ गाय रहती है यानी जहाँ  गोबर पड़ा रहता है वहां आसानी से गौरैया दिख जाती है वजह उसे अपने और बच्चे के लिए आसानी से आहार मिल जाता है। 

उनकी बात सत्य प्रतीत हुई। मैंने अपने शोध में देखा,जहाँ  गाये बंधी थी वहां पड़े गोबर के पास  सुबह - शाम मंडराती रहती है।


वैसे घरेलू गौरैया इंसानों के घरों में बसेरा रखने से इंसानों के यहाँ रखे अनाज को अपना आहार आसानी से बनाते हैं। घर-आंगन में गिरे अनाज को खाने के लिए गौरैया फुदकती हुई झुण्ड में आती है और दाना चुगती है।






 साथ ही घरेलू गौरैयाइंसानों के घर में प्रवेश कर कीड़ें-मकोड़ें को भी खाती है।